आर्य समाज मंदिर, जिसे भारत में विवाह के लिए एक पवित्र स्थान माना जाता है, यहां विवाह करने के लिए आपके पास कुछ आवश्यक कागजात होना अनिवार्य है, जैसे-
(1) आयु प्रमाण पत्र
(2) निवास प्रमाण पत्र।
आर्य समाज मंदिर में विवाह के लिए कागजात की सभी औपचारिकताएँ (Formalities) पूर्ण करने के लिए आपके पास आपका आयु प्रमाण पत्र (Age Proof) जैसे दसवीं क्लास का प्रमाण पत्र, उसके अलावा निवास प्रमाण पत्र (Residence Proof), लड़के और लड़की की आठ आठ पासपोर्ट साइज फोटो का होना जरूरी है.
आर्य समाज मंदिर 365 दिन खुला रहता है और यहां किसी भी प्रकार की छुट्टी का कोई प्रावधान नहीं है, इसलिए आप किसी भी दिन सभी जरूरी कागजात के साथ अपने विवाह के लिए हमारे मॉल रोड, खैबर पास, निकट विधान सभा मेट्रो स्टेशन, सिविल लाइन, उत्तरी दिल्ली के आर्य समाज मंदिर आ सकते है.
आर्य समाज मंदिर आपका स्वागत सप्ताह के सातों दिन करता है और यहां प्रत्येक दिन विवाह ,हवन पूजा, आदि कराये जाते हैं. जैसा की हमने ऊपर भी बताया की आर्य समाज मंदिर में विवाह करने के लिए बस कुछ जरूरी बातों पर ध्यान देना ही सबसे महत्वपूर्ण हैं जिसमे लड़के लड़की की उम्र, उनके कुछ कागजात और उनकी पासपोर्ट साइज फोटो सबसे अधिक महत्व रखती हैं.
यदि कोई भी आर्य समाज मंदिर में विवाह करना चाहता है, तो उसके लिए लड़के की उम्र का 21 वर्ष से अधिक और लड़की की उम्र 18 वर्ष से अधिक होना अनिवार्य है. और दोनों की आयु की प्रमाणकता उनके आयु प्रमाण पत्र द्वारा स्वीकृति की जाएगी.
जब आपकी सभी कागजी औपचारिकताएं (Formalities) पूरी हो जाती है, तो उसके बाद आर्य समाज मंदिर के पंडित जी द्वारा आपका विवाह संस्कार आर्य समाज और हिन्दू रीतियों से वैदिक मंत्रों के साथ सम्पन्न कराया जाता है. आर्य समाज मंदिर में आपके विवाह संस्कार को पूर्ण करने में अधिक से अधिक 2 से 3 घंटे का समय लगता है और जब आपका विवाह पूर्ण हो जाता है, तो उसके तुरंत बाद आपको आर्य समाज मंदिर की तरफ से आपका कानूनी विवाह प्रमाण पत्र (Legal Marriage Certificate) दिया जाता है. जिसे भारत में प्रत्येक जगह मान्य / वैध (Legal) किया गया है.
जिसके बाद आर्य समाज मंदिर की तरफ से आपके विवाह की प्रक्रिया पूर्ण रूप से सम्पन्न हो जाती है.
आर्य समाज मंदिर का विवाह प्रमाण पत्र सभी कानूनी स्थानों पर मान्य है, इसलिए इसके आधार पर आप विवाह पंजीयक कार्यालय (Marriage Registrar Office) में जाकर अपने विवाह को पंजीकृत भी करा सकते हैं.
विवाह प्रमाण पत्र की आवश्यकता
पहले के समय में (जब आधुनिक युग शुरु हुआ था), उस समय हमारे सामाजिक क्षेत्रों में जाति, धर्म, ऊँचा, नीचा, आदि जैसी कई समस्याएं उत्पन्न हुयी, जिसका सबसे खराब असर विवाहिक संबंध पर हुआ. उस समय यदि कोई भी नागरिक अपने जाति या धर्म से हट कर विवाह करने की सोचता भी था या अपने माता पिता की मर्जी के बिना विवाह करना चाहता था, तो उसके आगे कई समस्याएं उत्पन्न हो जाती थी, जैसे उसे उसकी पैत्रिक सम्पत्ति से दूर कर दिया जाता था, या उनका विवाह मान्य नहीं माना जाता था, और तो और कुछ स्थानों में उन्हें मार भी दिया जाता था. इन्ही सभी बाधाओं को दूर करने के लिए ही 1937 में आर्य विवाह अधिनियम (Marriage Act) पारित किया गया था, बाद में 1955 में इसे हिन्दू विवाह अधिनियम (Hindu marriage Act) में विलय कर दिया गया.
जिसके बाद से ही, आर्य समाज मंदिर में आर्य समाज विधि और वैदिक मंत्रो के साथ विवाह जैसे पवित्र संस्कार का आयोजन किया जाने लगा और जब यह विवाह पूर्ण हो जाता है, तो उसके तुरंत बाद आर्य समाज मंदिर विवाह प्रमाण पत्र देता है, जिसे सभी घर, नगर, शहर, राज्य अर्थात पूरे भारत देश में वैध (Legal) माना जाता है. यह प्रमाण पत्र यह साबित करता है, की अब लड़का लड़की कानूनी रूप से पति पत्नी बन चुके हैं.
यह प्रमाण पत्र सभी आर्य समाज मंदिर द्वारा आपकी शादी के बाद दिया जाता है, जिसके अपने कुछ लाभ हैं जैसे: लड़का लड़की अपने विवाह का पंजीकरण करा सकता है, विवाह के प्रमाण पत्र के रूप में किसी भी कनूनी स्थान पर प्रयोग कर सकता है, इसके साथ ही इससे लोन, दंपत्ति को वीजा बनवाने तथा किराये पर मकान लेने में आसानी होती है.